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विशिष्ट आयोजन

वर्तमान सन्दर्भो में समिति, हिन्दी के प्रसार के साथ साथ सभी भारतीय भाषाओ के बीच सम्वाद प्रक्रिया आरम्भ कर भाषायी समन्वयन तथा सूचना तकनीक के क्षेत्र में हिन्दी के प्रयोग को बढावा देने की दिशा में काम कर रही है। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु समिति ने  कई कार्यशालाए आयोजित की है।

हिन्दी सम्मेलन एवं राष्ट्रभाषा अभियान समिति का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन सन्‌ १९४८ में

 

 

स्वतंत्रता के पहले और बाद समिति ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए अपने स्तर पर जारी रखें। आजादी के ठीक बाद सन १९४८ में (१७ से १९ जनवरी तक) समिति का वार्षिकोत्सव एवं राष्ट्रभाषा सम्मेलन आयोजित किया।

समिति के वार्षिकोत्सव के तहत आयोजित इस तीन दिवसीय अधिवेशन का उदघाटन इन्दौर
के महाराज श्रीमंत यशवंतराव होलकर ने किया था । इसके तहत साहित्य परिषद शिक्षा परिषद और मध्यभारत पत्रकार परिषद जैसे विचारोत्तेजक कार्यक्रम किये गये ।

इस तीन दिवसीय सम्मेलन में महापंडित राहुल सांकृत्यायन,पं.माखनलाल चतुर्वेदी,  काशीनाथजी त्रिवेदी सहित कई विख्यात साहित्यकार,कवि, लेखक और पत्रकारों  ने भाग लिया । इस अवसर पर हुई साहित्य परिषद की अध्यक्षता राहुलजी ने की । शिक्षा परिषद के सभापति मध्यभारत के तत्कालीन शिक्षामंत्री श्री वी.सी.सरवटे साहब थे तथा पत्रकार परिषद को देश के मूर्धन्य पत्रकार और साहित्यकार श्री माखनलालजी चतुर्वेदी ने दिशा निर्देशित किया । इस वैचारिक आयोजन में साहित्य,शिक्षा और पत्रकारिता के क्षेत्र को नई दिशा देने के उद्देश्य से सार्थक चिंतन हुआ हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए सर्व सम्मति से प्रस्ताव पारित कर राष्ट्रपिता गांधीजी एवं प्रधानमंत्री नेहरू जी को भेजा गया.

१) स्वागताध्यक्ष श्री महाराज साहब का भाषण (स्केन किये गए कागजो पर लिंक करे)
२) श्री राहुलजी का उद्‌बोधन
३) श्री माखनलाल चतुर्वेदी का भाषण

राष्ट्रपिता बापू ने एक पत्र लिखकर समिति के प्रयासों की सराहना की थी। इस सम्मेलन की अनुद्गांसा समिति के एक दल ने प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सौंपी थी।

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